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Sunday, December 22, 2024

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Kitne Aish Se Rahte Hoñge Kitne Itrāte Hoñge

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कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं

मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे

वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था

आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे

उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा

यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का

वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे

या’नी मेरे बा’द भी या’नी साँस लिए जाते होंगे

kitne aish se rahte hoñge kitne itrāte hoñge

jaane kaise log vo hoñge jo us ko bhāte hoñge

shaam hue ḳhush-bāsh yahāñ ke mere paas aa jaate haiñ

mere bujhne kā nazzāra karne aa jaate hoñge

vo jo na aane vaalā hai nā us se mujh ko matlab thā

aane vāloñ se kyā matlab aate haiñ aate hoñge

us kī yaad kī bād-e-sabā meñ aur to kyā hotā hogā

yūñhī mere baal haiñ bikhre aur bikhar jaate hoñge

yaaro kuchh to zikr karo tum us kī qayāmat bāñhoñ kā

vo jo simaTte hoñge un meñ vo to mar jaate hoñge

merā saañs ukhaḌte hī sab bain kareñge ro.eñge

ya.anī mere ba.ad bhī ya.anī saañs liye jaate hoñge

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