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दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये
हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब
की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये
समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल
की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये
तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये
कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये
diya hai dil agar us ko , bashar hai kya kahiye hua raqeeb to vo , naamaabar hai , kya kahiye yah zid kee aaj na aaye aur aaye bin na rahe kaaja se shikava hamen kis qadar hai , kya kahiye zaahe -karishma ke yoon de rakha hai hamako phareb kee bin kahe hee unhen sab khabar hai , kya kahiye samajh ke karate hain baajaar mein vo pursish -ai -haal kee yah kahe kee sar -ai -rahaguzar hai , kya kahiye tumhen nahin hai sar-ai-rishta-ai-vafa ka khyaal hamaare haath mein kuchh hai , magar hai kya kahiye kaha hai kis ne kee “gaalib ” bura nahin lekin sivaay isake kee aashuftaasaar hai kya kahiye