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आप आये तो हर ख़ुशी आई
ज़र्द पत्तों पे ताज़गी आई।
जिस की आमद का था यकीन हमें
लौट कर वो न ज़िंदगी आई।
यूँ रुलाया मुझे ज़माने ने
फिर न लब पर कभी हँसी आई।
प्यार तुम को मिला जमाने का
मेरे हिस्से में बेकसी आई।
दिल निशाना बना इताबों का
चार जानिब से अबतरी आई।
ग़म तो आता है रोज़ ऐ ‘अंजुम’
और मुसर्रत कभी कभी आई।