वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
वो हैं पास और याद आने लगे हैं
मोहब्बत के होश अब ठिकाने लगे हैं
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ कोज़माने लगे हैं
हवाएँ चलीं और न मौजें ही उट्ठीं अब
ऐसे भी तूफ़ान आने लगे हैं
क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
‘ख़ुमार’ अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
Vo hain paas aur yaad aane lage hain
Mohabbat ke hosh ab thikāne lage hain
Sunā hai hamein vo bhulāne lage hain
To kyā ham unheñ yaad aane lage hain
Hatā.e the jo raah se dostoñ kī
Vo patthar mire ghar mein aane lage hain
Ye kahnā thā un se mohabbat hai mujh ko
Ye kahne mein mujh ko zamanein lage hain
Havā.eñ chalīñ aur na maujeñ hī utthīñ
Ab aise bhī tūfān aane lage hain
Qayāmat yaqīnan qarīb aa ga.ī hai
‘Ḳhumār’ ab to masjid mein jaane lage hain
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं