कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या’नी मेरे बा’द भी या’नी साँस लिए जाते होंगे
kitne aish se rahte hoñge kitne itrāte hoñge
jaane kaise log vo hoñge jo us ko bhāte hoñge
shaam hue ḳhush-bāsh yahāñ ke mere paas aa jaate haiñ
mere bujhne kā nazzāra karne aa jaate hoñge
vo jo na aane vaalā hai nā us se mujh ko matlab thā
aane vāloñ se kyā matlab aate haiñ aate hoñge
us kī yaad kī bād-e-sabā meñ aur to kyā hotā hogā
yūñhī mere baal haiñ bikhre aur bikhar jaate hoñge
yaaro kuchh to zikr karo tum us kī qayāmat bāñhoñ kā
vo jo simaTte hoñge un meñ vo to mar jaate hoñge
merā saañs ukhaḌte hī sab bain kareñge ro.eñge
ya.anī mere ba.ad bhī ya.anī saañs liye jaate hoñge