जो रानाई निगाहों के लिए फ़िरदौस-ए-जल्वा है
लिबास-ए-मुफ़्लिसी में कितनी बे-क़ीमत नज़र आती
यहाँ तो जाज़बिय्यत भी है दौलत ही की पर्वर्दा
ये लड़की फ़ाक़ा-कश होती तो बद-सूरत नज़र आती
Jo Ranai Nigahon ke liye Samaan-e-Jalwa hai
Libas-e-muflisi mein Kitni Be-qeemat Nazar Aati
Yahan to Jazbiyyat bhi Hai Daulat hi ki Parwarda
Ye Ladki Faqa-kash hoti toh Bad-surat Nazar Aati