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Wednesday, December 11, 2024

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हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे/ ग़ालिब

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हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे

दर्से-उन्वाने-तमाशा बा-तग़ाफ़ुल ख़ुशतर 
है निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ

वहशते-आतिशे-दिल से शबे-तन्हाई में
सूरते-दूद रहा साया गुरेज़ाँ मुझसे

ग़मे-उश्शाक़ न हो सादगी आमोज़े-बुताँ
किस क़दर ख़ाना-ए- आईना है वीराँ मुझसे

असरे-आब्ला से है जादा-ए-सहरा-ए-जुनूँ
सूरते-रिश्ता-ए-गोहर है चराग़ाँ मुझसे

बेख़ुदी बिस्तरे-तम्हीदे-फ़राग़त हो जो
पुर है साये की तरह मेरा शस्बिस्ताँ मुझसे

शौक़े-दीदार में गर तू मुझे गर्दन मारे
हो निगह मिस्ले-गुले-शम्मअ परीशाँ मुझसे

बेकसी हाए शबे-हिज्र की वहशत है ये
साया ख़ुरशीदे-क़यामत में‍ है पिन्हाँ मुझसे

गर्दिशे-साग़रे-सद जल्वा-ए-रंगीं तुझसे
आईना दारी-ए-यक दीद-ए-हैराँ मुझसे

निगह-ए-गर्म से इक आग टपकती है ‘असद’
है चराग़ाँ ख़स-ओ-ख़ाशाके-गुलिस्ताँ मुझसे

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