26.1 C
Delhi
Friday, March 14, 2025

Buy now

Adsspot_img

सामान्यता की शर्त

- Advertisement -

जिस गन्दे रास्ते से हम रोज़ गुज़रते हैं
वह फिर गन्दा‍ लगना बन्द हो जाता है ।

रोज़ाना हम कुछ अजी‍बो-ग़रीब चीज़ें देखते हैं
और फिर हमारी आँखों के लिए
वे अजीबो-ग़रीब नहीं रह जाती ।

हम इतने समझौते देखते हैं आसपास
कि समझौतों से हमारी नफ़रत ख़त्म हो जाती है ।

इसी तरह, ठीक इसी तरह हम मक्का़री, कायरता,
क्रूरता, बर्बरता, उन्माद
और फासिज़्म के भी आदी होते चले जाते हैं ।

सबसे कठिन है
एक सामान्य आदमी होना ।

सामान्यता के लिए ज़रूरी है कि
सारी असामान्य चीज़ें हमें असामान्य लगें
क्रूरता, बर्बरता, उन्माद और फासिज़्म हमें
हरदम क्रूरता, बर्बरता, उन्माद और फासिज़्म ही लगे

यह बहुत ज़रूरी है
और इसके लिए हमें लगातार
बहुत कुछ करना होता है

जो इन दिनों
ग़ैरज़रूरी मान लिया गया है ।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles