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Sunday, December 22, 2024

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यह गम क्या दिल की आदत है? नहीं तो जॉन एलिया उर्दू शायरी

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यह गम क्या दिल की आदत है? नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो

है वो इक ख्वाब-ए-बे ताबीर इसको
भुला देने की नीयत है? नहीं तो

किसी के बिन किसी की याद के बिन
जिए जाने की हिम्मत है ? नहीं तो

किसी सूरत भी दिल लगता नहीं? हाँ
तू कुछ दिन से यह हालत हैं? नहीं तो

तेरे इस हाल पर हैं सब को हैरत
तुझे भी इस पर हैरत है? नहीं तो

वो दरवेशी जो तज कर आ गया…..तू
यह दौलत उस की क़ीमत है? नहीं तो

हुआ जो कुछ यही मक़्सूम था क्या
यही सारी हकायत है ? नहीं तो

अज़ीयत नाक उम्मीदों से तुझको
अमन पाने की हसरत है? नहीं तो

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