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Sunday, December 22, 2024

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पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा / अब्दुल ग़फ़ुर ‘नस्साख़’

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पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा
वो दिल नहीं रहा वो ज़माना नहीं रहा

क्या ज़िक्र-ए-महर उस की नज़र में है दिल वो ख़्वार
शायान-ए-जौर-ओ-ज़ुल्म दिल-आरा नहीं रहा

झगड़ा मिटा दिया बुत-ए-काफ़िर ने दीन का
अब कुछ ख़िलाफ़-ए-मोमिन-ओ-तरसा नहीं रहा

उश्शाक़-ओ-बुल-हवस में नहीं करते वो तमीज़
वाँ इम्तियाज़-ए-नेक-ओ-बद असला नहीं रहा

क्यूँ बहर-ए-सैर आने लगे गुल-रुख़ान-ए-दहर
पीरी में दिल सज़ा-ए-तमाशा नहीं रहा

कह दो के क़ब्र-ए-नाश भी की उस की पाएमाल
नाम-ओ-निशान-ए-आशिक़-ए-रुसवा नहीं रहा

अब तक यहाँ है इज्ज़ ओ नियाज़ ओ वफ़ा की धूम
वाँ लुत्फ़ ओ इल्तिफ़ात ओ मदारा नहीं रहा

कश्ती बग़ैर दश्त-नवर्दी हो किस तरह
अश्कों से बहर हो गया सहरा नहीं रहा

मस्ती में रात वो न खुले मुझ से हम-नशीं
कुछ ऐतबार-ए-नश्शा-ए-सहबा नहीं रहा

क्यूँ जाएँ फिर के काबे से ‘नस्साख़’ दैर को
वो सर नहीं रहा वो सौदा नहीं रहा

piirii men shauk hausalaa-frasaa nahiin rahaa
vo dil nahiin rahaa vo jmaanaa nahiin rahaa

kyaa jikr-e-mahar us kii najr men hai dil vo khvaar
shaayaan-e-jaur-o-julm dil-aaraa nahiin rahaa

jhagaDaa miTaa diyaa but-e-kaafir ne diin kaa
ab kuchh khilaaf-e-momin-o-tarasaa nahiin rahaa

ushshaak-o-bul-havas men nahiin karate vo tamiij
vaan imtiyaaj-e-nek-o-bad asalaa nahiin rahaa

kyoon bahar-e-sair aane lage gul-rukhaan-e-dahar
piirii men dil sajaa-e-tamaashaa nahiin rahaa

kah do ke kbr-e-naash bhii kii us kii paaemaal
naam-o-nishaan-e-aashik-e-rusavaa nahiin rahaa

ab tak yahaan hai ijj o niyaaj o vafaa kii dhoom
vaan lutf o iltifaat o madaaraa nahiin rahaa

kashtii bagair dasht-navardii ho kis tarah
ashkon se bahar ho gayaa saharaa nahiin rahaa

mastii men raat vo n khule mujh se ham-nashiin
kuchh aitabaar-e-nashshaa-e-sahabaa nahiin rahaa

kyoon jaaen fir ke kaabe se ‘nassaakh’ dair ko
vo sar nahiin rahaa vo saudaa nahiin rahaa

পীরী মেং শৌক হৌসলা-ফরসা নহীং রহা
বো দিল নহীং রহা বো জমানা নহীং রহা

ক্যা জিক্র-এ-মহর উস কী নজর মেং হৈ দিল বো খ্বার
শাযান-এ-জৌর-ও-জুল্ম দিল-আরা নহীং রহা

ঝগডা মিটা দিযা বুত-এ-কাফির নে দীন কা
অব কুছ খিলাফ-এ-মোমিন-ও-তরসা নহীং রহা

উশ্শাক-ও-বুল-হবস মেং নহীং করতে বো তমীজ
বাঁ ইম্তিযাজ-এ-নেক-ও-বদ অসলা নহীং রহা

ক্যূঁ বহর-এ-সৈর আনে লগে গুল-রুখান-এ-দহর
পীরী মেং দিল সজা-এ-তমাশা নহীং রহা

কহ দো কে কব্র-এ-নাশ ভী কী উস কী পাএমাল
নাম-ও-নিশান-এ-আশিক-এ-রুসবা নহীং রহা

অব তক যহাঁ হৈ ইজ্জ ও নিযাজ ও বফা কী ধূম
বাঁ লুত্ফ ও ইল্তিফাত ও মদারা নহীং রহা

কশ্তী বগৈর দশ্ত-নবর্দী হো কিস তরহ
অশ্কোং সে বহর হো গযা সহরা নহীং রহা

মস্তী মেং রাত বো ন খুলে মুঝ সে হম-নশীং
কুছ ঐতবার-এ-নশ্শা-এ-সহবা নহীং রহা

ক্যূঁ জাএঁ ফির কে কাবে সে ‘নস্সাখ’ দৈর কো
বো সর নহীং রহা বো সৌদা নহীং রহা

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