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Thursday, November 21, 2024

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नक़्श-ए-दिल है सितम जुदाई का / अब्दुल ग़फ़ुर ‘नस्साख़’

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नक़्श-ए-दिल है सितम जुदाई का
शौक़ फिर किस को आशनाई का

चखते हैं अब मज़ा जुदाई का
ये नतीजा है आशनाई का

उन के दिल की कुदूरत और बढ़ी
ज़िक्र कीजिए अगर सफ़ाई का

देख तो संग-ए-आस्ताँ पे तेरे
है निशाँ किस की जबहा-साई का

तेरे दर का गदा जो है ऐ दोस्त
ऐश करता है बादशाई का

दुख़्तर-ए-रज़ ने कर दिया बातिल
मुझ को दावा था पारसाई का

करते हैं अहल-ए-आसमाँ चर्चा
मेरे नालों की ना-रसाई का

काट डालो अगर ज़बाँ पे मेरे
हर्फ़ आया हो आशनाई का

कर के सदक़े न छोड़ दें ‘नस्साख़’
दिल को धड़का है क्यूँ रिहाई का

naksh-e-dil hai sitam judaaii kaa
shauk fir kis ko aashanaaii kaa

chakhate hain ab majaa judaaii kaa
ye natiijaa hai aashanaaii kaa

un ke dil kii kudoorat aur baDhii
jikr kiijie agar safaaii kaa

dekh to sang-e-aastaan pe tere
hai nishaan kis kii jabahaa-saaii kaa

tere dar kaa gadaa jo hai ai dost
aish karataa hai baadashaaii kaa

dukhtar-e-raj ne kar diyaa baatil
mujh ko daavaa thaa paarasaaii kaa

karate hain ahal-e-aasamaan charchaa
mere naalon kii naa-rasaaii kaa

kaaT Daalo agar jbaan pe mere
harf aayaa ho aashanaaii kaa

kar ke sadake n chhoD den ‘nassaakh’
dil ko dhaDkaa hai kyoon rihaaii kaa

নক্শ-এ-দিল হৈ সিতম জুদাঈ কা
শৌক ফির কিস কো আশনাঈ কা

চখতে হৈং অব মজা জুদাঈ কা
যে নতীজা হৈ আশনাঈ কা

উন কে দিল কী কুদূরত ঔর বঢী
জিক্র কীজিএ অগর সফাঈ কা

দেখ তো সংগ-এ-আস্তাঁ পে তেরে
হৈ নিশাঁ কিস কী জবহা-সাঈ কা

তেরে দর কা গদা জো হৈ ঐ দোস্ত
ঐশ করতা হৈ বাদশাঈ কা

দুখ্তর-এ-রজ নে কর দিযা বাতিল
মুঝ কো দাবা থা পারসাঈ কা

করতে হৈং অহল-এ-আসমাঁ চর্চা
মেরে নালোং কী না-রসাঈ কা

কাট ডালো অগর জবাঁ পে মেরে
হর্ফ আযা হো আশনাঈ কা

কর কে সদকে ন ছোড দেং ‘নস্সাখ’
দিল কো ধডকা হৈ ক্যূঁ রিহাঈ কা

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