26.1 C
Delhi
Sunday, September 8, 2024

Buy now

Adsspot_img

चुनिन्दा अश्आर- भाग दो / मीर तक़ी ‘मीर’

- Advertisement -

११.
सुबह तक शम्अ सर को धुनती रही
क्या पतंगे ने इल्तमास किया

१२.
दाग़े-फ़िराक़ -ओ-हसरते-वस्ल, आरज़ू-ए-शौक़
मैं साथ ज़ेरे-ख़ाक़ भी हंगामा  ले गया
१३.
शुक्र उसकी जफ़ा का हो न सका
दिल से अपने हमें गिला है यह
१४.
अपने जी ही ने न चाहा कि पिएँ आबे-हयात
यूँ तो हम मीर उसी चश्मे-पे हुए
१५.
चमन का नाम सुना था वले न देखा हाय
जहाँ में हमने क़फ़स ही में ज़िन्दगानी की
१६.
कैसे हैं वे कि जीते हैं सदसाल हम तो ‘मीर’
इस चार दिन की ज़ीस्त में बेज़ार हो गए
१७.
तुमने जो अपने दिल से भुलाया हमें तो क्या
अपने तईं तो दिल से हमारे भुलाइये
१८.
परस्तिश की याँ तक कि ऐ बुत! तुझे
नज़र में सभू की ख़ुदा कर चले
१९.
यूँ कानों कान गुल ने न जाना चमन में आह
सर लो पटक के हम सरे बाज़ार मर गए
२०.
सदकारवाँ वफ़ा है कोई पूछ्ता नहीं
गोया मताए-दिल के ख़रीदार मर गए

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles