18.1 C
Delhi
Monday, November 25, 2024

Buy now

Adsspot_img

उजाला जब भी आया / ओमप्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’

- Advertisement -

उजाला जब भी आया इस गली में
लगा ठहरा है सूरज बेबसी में

कभी तो होश में भी याद करते
पुकारा तुमने बस बेखुदी में

अगर वो रूठकर जाता तो जाता
गया वो झूमता गाता खुशी में

हजारों शाप लेकर, सोचता हूँ
दुआ भी है कहीं क्या जिन्दगी में

कहाँ मालूम था शीतल हवा को
वो डूबेगी पसीने की नदी में

खुदा का खौफ गर बाकी रहा तो
मज़ा आया कहाँ फिर मैकशी में

बफा, ईमान, सच्चाई, मोहब्बत
नहीं, तो फिर बचा क्या जिन्दगी में।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles