17.1 C
Delhi
Thursday, November 21, 2024

Buy now

Adsspot_img

इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या / मीर तक़ी ‘मीर’

- Advertisement -

इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या
आगे-आगे देखिये होता है क्या

क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है
यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या

सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं
तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या

ये निशान-ऐ-इश्क़ हैं जाते नहीं
दाग़ छाती के अबस धोता है क्या

ग़ैरते-युसूफ़ है ये वक़्त ऐ अजीज़
‘मीर’ इस को रायेग़ाँ खोता है क्या

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles