अख़लाक़ न बरतेंगे मुदारा न करेंगे
अब हम किसी शख़्स की परवाह न करेंगे
कुछ लोग कई लफ़्ज़ ग़लत बोल रहे हैं
इसलाह मगर हम भी अब इसलाह न करेंगे
कमगोई के एक वस्फ़-ए-हिमाक़त है बहर तो
कमगोई को अपनाएँगे चहका न करेंगे
अब सहल पसंदी को बनाएँगे वातिरा
ता देर किसी बाब में सोचा न करेंगे
ग़ुस्सा भी है तहज़ीब-ए-तआल्लुक़ का तलबगार
हम चुप हैं भरे बैठे हैं गुस्सा न करेंगे
कल रात बहुत ग़ौर किया है सो हम ए “जॉन”
तय कर के उठे हैं के तमन्ना न करेंगे
akhlaak n baratenge mudaaraa n karenge
ab ham kisii shakhs kii paravaah n karenge
kuchh log kaii lafj glat bol rahe hain
isalaah magar ham bhii ab isalaah n karenge
kamagoii ke ek vasf-e-himaakt hai bahar to
kamagoii ko apanaaenge chahakaa n karenge
ab sahal pasandii ko banaaenge vaatiraa
taa der kisii baab men sochaa n karenge
gussaa bhii hai tahajiib-e-taalluk kaa talabagaar
ham chup hain bhare baiThe hain gussaa n karenge
kal raat bahut gaur kiyaa hai so ham e “jŏn”
tay kar ke uThe hain ke tamannaa n karenge